टैबलेट गाथा:
ये टैबलेट न हुआ ,
शिक्षक का character सर्टिफिकेट हो गया ।।
दिव्या तंवर को शायद सभी लोग जानते होंगे
नवनियुक्त IAS
प्रथम प्रयास में IPS और दूसरे प्रयास में IAS क्लियर करने वाली महिला और शायद सबसे कम उम्र महिला
बेसिक से पढ़ी
नवोदय से 12th किया
सारी शिक्षा सरकारी स्कूल व कॉलेज से हुई।
उसके बाद भी इतनी बड़ी उपलब्धि
दिव्य तंवर ही नही ऐसे बहुत से उदाहरण है।
( लगभग एक बड़ा हिस्सा IAS व IPS का सरकारी स्कूलों में पढ़े हुए है)
बताइए कौन से टैबलेट और हाईटेक से उन्हें शिक्षा दी गई ।
वही सरकारी शिक्षक ।।
बस फर्क इतना की उन्हें पूर्ण मनोयोग और स्वतंत्रता से पढ़ाने दिया गया । उन्हें कोई संदर्शिका या मॉड्यूल के according पढ़ाने को बाध्य नहीं किया गया।
उन पर फालतू की दिखावटी रैलियों,कार्यक्रम के फोटो आदि का भार नही डाला गया।
उन्हें DBT,समर्थ ऐप,रेड अलोंग ऐप,PRENA, निपुण ऐप ,दीक्षा ऐप ,ये समारोह ,वो समारोह, ये सप्ताह , वो सप्ताह आदि आदि में उलझाया नही गया।
और उनसे अशोभनीय व्यवहार भी नही किया गया।
RESULT सबके सामने है।
सरकारी शिक्षक इंजीनियर, डॉक्टर, साइंटिस्ट, IAS, IPS सब कुछ बनाने की क्षमता रखता है पर उसे कुछ करने की आजादी तो दीजिए।
एक SLAVE की तरह काम लिया जा रहा है।
जब मर्जी आई पूर्व निर्धारित अवकाश पर स्कूल खोल देने का आदेश । छुट्टियों में , स्कूल hours के बाद भी ऑनलाइन ट्रेनिंग,मीटिंग्स,क्विज ।
जैसे master न हुआ एलियन हो गया।
जो लोग यह तर्क दे रहे है की समाज में शिक्षक की छवि खराब है तो उन्हें पता होना चाहिए मंत्रियों की छवि तो ………….
और सबसे बड़ी बात
ये छवि आखिर कैसे और कब खराब हुई
गत 10 –12वर्ष से पहले तक ( भैया वर्ष आगे पीछे भी हो सकते हैं। इसको बहस का मुद्दा न बनाएं 😀)
कभी ही शायद सरकारी मास्टरों पर समाचार पत्रों में छपता था( गलत सलत,) पर अब शायद इसके बिना समाचार पत्र पूरे ही नही होते।
यह छवि दुर्भावनापूर्ण तरीके से बैठाए गई है।
समय पर उपस्थित की बात है तो
अभी जब हाल ही में संगठन ने निदेशालय पर धरना दिया तो बड़के साहब स्वयं दोपहर के बाद अपने ऑफिस पहुंचे( गाड़ी और नीली बत्ती के साथ चिकनी बढ़िया सड़क से)
तो भईया हम टूटे फूटे कच्चे रास्ते से….
साभार: सोशल मीडिया (अमरनाथ यादव FB)