हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई पेंशन स्कीम को चुनौती देने वाली प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों व प्राचार्यों की सैकड़ों याचिकाओं को एक साथ सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि याचियों ने नई पेंशन स्कीम के प्रभाव में आने के बाद नियुक्ति पाई थी और उन्होंने नियुक्ति पत्र के नियमों और शर्तों को स्वीकार किया था।
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई पेंशन स्कीम को चुनौती देने वाली शिक्षकों, प्राचार्यों की सैकड़ों याचिकाओं को एक साथ सुनवाई कर खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचियों ने नई पेंशन स्कीम प्रभाव में आने के बाद नियुक्ति पाई थी और उन्होंने नियुक्ति पत्र की नियम-शर्तें मानी थीं।
यह निर्णय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने 219 याचिकाओं पर साथ सुनवाई कर पारित किया। याचियों ने नई पेंशन स्कीम वाले 28 मार्च 2005 के शासनादेश को चुनौती देकर कहा था कि नई पेंशन स्कीम में अनिश्चितताएं हैं, शेयर के भरोसे होगी। प्रान में पंजीकरण न वाले शिक्षकों का वेतन रोकने शासनादेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें एनपीएस न अपनाने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने का प्रावधान था। कोर्ट ने पाया कि 27 जनवरी 2023 को संशोधित शासनादेश से स्पष्ट किया कि शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाएगा।