सरकार जल्द ही छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर फैसला ले सकती है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) के लिए ब्याज दरों की समीक्षा करेगा। बढ़ी हुई दरें एक जनवरी 2024 से प्रभावी होंगी।
सरकार हर तीन माह में छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करती है। पिछली बार 30 सितंबर को केवल दो योजनाओं पर ही ब्याज दरें बढ़ाई गई थीं। केवल पांच साल की आवर्ती जमा योजना की ब्याज दर को 6.5 से बढ़ाकर 6.7 फीसदी किया गया था।
वर्तमान में सरकार डाकघर बचत, पीपीएफ, सुकन्या, वरिष्ठ नागरिक, राष्ट्रीय बचन पत्र समेत कुल 12 तरह की छोटी बचत योजनाएं चला रही है। पिछली बार 10 बचत योजनाओं की ब्याज दरों को स्थिर रखा था।
वित्त मंत्रालय हर तिमाही के लिए इनकी दरों का ऐलान करता है। मासिक आय योजना और वरिष्ठ नागरिक जमा योजना के जरिये नियमित कमाई का एक जरिया उपलब्ध कराना है।
पीपीएफ में पिछले चार साल से बदलाव नहीं
देश में एक अप्रैल 2020 से पहले पीपीएफ की ब्याज दर 7.9 फीसदी थी। कोरोना काल में सरकार ने अप्रैल-सितंबर 2020 तिमाही में कई बचत योजनाओं की ब्याज दरों में संशोधन करके उन्हें घटा दिया था। तब से पीपीएफ की ब्याज दर 7.1 फीसदी पर बनी हुई है। इस बीच ब्याज दरों में कई संशोधन हुए लेकिन पीपीएफ में कोई बदलाव नहीं हुआ। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार सरकार लगभग चार साल बाद पीपीएफ की ब्याज दर में बढ़ोतरी कर सकती है।
टैक्स के बाद रिटर्न ज्यादा होने की दलील
अधिकारियों के अनुसार, पीपीएफ ब्याज दर में ज्यादा बढ़ोतरी न होने का प्रमुख कारण यह है कि इस योजना में टैक्स के बाद रिटर्न अधिक है। उच्चतम कर दायरे के मामले में यह लगभग 10.32 फीसदी तक पहुंच जाता है। इसे देखते हुए ब्याज दर में बदलाव नहीं किया जाता है।
वित्त मंत्रालय करता है फैसला