इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह योग्यता बीटीसी के समकक्ष भी नहीं है इसलिए नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट धारक अभ्यर्थी कक्षा एक से पांच तक परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त होने की अर्हता नहीं रखते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कई अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
याचियों का कहना था कि उन्होंने सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आवेदन किया था और काउंसिलिंग में शामिल हुए। लेकिन न्यूनतम अर्हता न होने के आधार पर उन्हें चयनित नहीं किया गया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचियों के अधिवक्ता ने 17 अक्टूबर 2013 को जारी विज्ञापन को भी चुनौती दी। कहा कि विज्ञापन में नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट को न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया था जबकि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन चाहे इसे किसी भी नाम से जाना जाए, सहायक अध्यापक पद के लिए न्यूनतम अर्हता में शामिल है। कहा गया कि 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के अनुसार कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अभ्यर्थी के पास इंटर में 50 प्रतिशत अंकों के साथ एलिमेंट्री एजुकेशन में दो वर्षीय डिप्लोमा चाहे किसी भी नाम से जाना जाए, क्योंकि याचियों के पास नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट है जो डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन और बीटीसी के समकक्ष है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट का पाठ्यक्रम प्री स्कूल एजुकेशन यानी कक्षा एक व दो तक के बच्चों के हिसाब से तैयार किया गया है इसलिए इसे बीटीसी या डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन के समकक्ष नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि बीटीसी कोर्स कक्षा एक से पांच तक के लिए तैयार किए गए हैं जबकि नर्सरी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट शिशु शिक्षा का पाठ्यक्रम है और यह प्री स्कूल या कक्षा एक और दो तक के बच्चों के हिसाब से तैयार किया गया है।