जौनपुरः प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने को लेकर तरह-तरह के पहल हो रहे हैं। हालांकि उनमें पढ़ने वाले बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा लेने के सपनों पर ग्रहण लगते दिख रहा है। चार साल से जहां अंग्रेजी माध्यम पढ़ाई के लिए विद्यालयों का चयन नहीं हो रहा है वहीं पूर्व में चयनित 357 विद्यालयों में अधिकांश में मानक के अनुरूप शिक्षक भी नहीं हैं। कई बार आदेश के बाद भी शिक्षक वहां पढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं, जबकि जनपद में पीएचडी, एमएससी व बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की फौज है।
चार साल में प्रत्येक ब्लाक में 15- 15 माध्यमिक व दो-दो जूनियर हाईस्कूल को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के लिए चयनित किया गया। योजना परवान चढ़ती इससे पूर्व की कोरोना काल से नए विद्यालयों के चयन की प्रक्रिया बंद कर दी गई है। दूसरी तरफ
योजना में योगदान से शिक्षक कतरा रहे हैं। जिले में चयनित 357 अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में शिक्षा देने से
शिक्षक कतरा रहे हैं। विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने
वालों में अधिकांश बीएड के अलावा एमए, एमएससी, पीएचडी डिग्रीधारी हैं। उनकी योग्यता ही नहीं क्षमता भी अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने की है, लेकिन वह जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।