लखनऊ। जिले के परिषदीय विद्यालयों से कोविड काल में बच्चों के अभिभावकों को वितरित किए गए मिड डे मील के राशन और लागत राशि का हिसाब मांगा जा रहा है। प्रत्येक खंड शिक्षा अधिकारी यह ब्योरा जुटाने में लगे हैं कि उनके क्षेत्र के विद्यालयों के कितने बच्चों के अभिभावकों को राशन वितरित किया गया और कितने के खाते में लागत राशि जमा कराई गई। शिक्षक भी इसका बहीखाता बनाने में जुटे हैं। बीएसए ने सभी बीईओ को निर्देश जारी कर दिया है।
कोविड काल में परिषदीय विद्यालय बंद थे। बच्चों को मिड डे मील की जगह उनके अभिभावकों को उसका खाद्यान्न और लागत राशि देने का निर्णय लिया गया था। निर्धारित खाद्यान्न की पर्ची विद्यालयों के शिक्षकों ने काटी थी, जिसे कोटे के राशन की दुकानों पर जमा कराकर अभिभावकों ने राशन प्राप्त किया। जबकि लागत राशि विद्यालयों ने एमडीएम खाते से अभिभावकों के निजी खाते में स्थानांतरित की थी।
इतने दिनों का देना है हिसाब वर्ष 2021 में प्राथमिक विद्यालयों के अंतर्गत 94 दिन का 9.400 किलोग्राम प्रति छात्र खाद्यान्न दिया गया। जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अंतर्गत यह 87 दिनों का 13.5 किलोग्राम था।
इसी प्रकार प्राथमिक विद्यालयों के अंतर्गत 128 दिन का 636 रुपये प्रति छात्र लागत राशि जमा कराई गई थी। जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अंतर्गत 121 दिन की 901 रुपये प्रति छात्र लागत राशि अभिभावकों के खाते में जमा कराई गई थी। बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि प्राधिकरण ने ब्योरा मांगा है, जो बीईओ के माध्यम से जुटाया जा रहा है। इसका सत्यापन भी होगा.